ऑर्गेनिक फार्मिंग (Organic Farming) कैसे करें?
ऑर्गेनिक फार्मिंग (Organic Farming) कैसे करें? – इसका मतलब है कि खेती बिना रासायनिक खाद, कीटनाशक और कृत्रिम चीज़ों के की जाए, ताकि मिट्टी, पौधे, इंसान और पर्यावरण सभी स्वस्थ रहें।
नीचे आसान हिंदी में पूरी जानकारी दी गई है:
🌾 ऑर्गेनिक खेती क्या होती है?
ऑर्गेनिक खेती एक प्राकृतिक खेती है जिसमें:
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रासायनिक खाद (Urea, DAP, आदि) का उपयोग नहीं किया जाता।
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कीटनाशकों की जगह नीम, गोमूत्र, जीवामृत आदि का उपयोग होता है।
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फसल की गुणवत्ता और पोषण बेहतर होता है।
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मिट्टी की उर्वरता और जल-धारण क्षमता बनी रहती है।
✅ ऑर्गेनिक खेती कैसे शुरू करें?
1. जमीन की तैयारी (Soil Preparation)
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रासायनिक खादों का प्रयोग बंद करें।
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2–3 साल तक प्राकृतिक तरीके से जमीन को सुधारा जाए।
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गोबर की सड़ी हुई खाद (खली खाद), कम्पोस्ट और वर्मी कम्पोस्ट डालें।
2. प्राकृतिक खाद का प्रयोग करें
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गोबर की खाद
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वर्मी कम्पोस्ट (केंचुआ खाद)
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हरी खाद (Green Manure) – जैसे सन, ढैंचा
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जीवामृत, घनजीवामृत (गौ आधारित खादें)
3. प्राकृतिक कीटनाशक (Pest Control)
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नीम तेल, लहसुन-मिर्च घोल, गोमूत्र, ब्रह्मास्त्र आदि का छिड़काव।
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फेरोमोन ट्रैप, पीली चिपचिपी पट्टी (Yellow Sticky Traps) लगाएं।
4. बीज चयन और उपचार (Seed Selection & Treatment)
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देसी और रोग प्रतिरोधक बीज लें।
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बीज को गौमूत्र, नीम अर्क या जीवामृत से उपचारित करें।
5. फसल चक्र अपनाएं (Crop Rotation)
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एक ही फसल बार-बार न लगाएं।
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इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और कीट भी नहीं लगते।
6. मल्चिंग (Mulching) करें
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सूखी पत्तियां, भूसा या घास को खेत में बिछाएं ताकि नमी बनी रहे और खरपतवार न फैले।
🌱 ऑर्गेनिक खेती में उपयोगी देसी घोल:
नाम | उपयोग | बनाने की विधि |
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जीवामृत | खाद के रूप में | 10 लीटर गोमूत्र + 10 किलो गोबर + 2 मुट्ठी चना बेसन + 1 किलो गुड़ + 200 लीटर पानी |
नीमास्त्र | कीट नियंत्रण | 5 किलो नीम पत्ता + 1 लीटर गोमूत्र + 200 ग्राम लहसुन को पीसकर 10 लीटर पानी में मिलाएं |
अग्नि अस्त्र | कीटनाशक | लहसुन + हरी मिर्च + अदरक + गोमूत्र |
ब्रह्मास्त्र | सभी प्रकार के कीटों पर असर | नीम, धतूरा, आक, तुलसी, गुड़हल आदि पत्ते उबालकर घोल बनाएं |
📜 प्रमाणन (Certification)
अगर आप ऑर्गेनिक फसल बेचकर अच्छी कीमत पाना चाहते हैं, तो आपको ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन लेना चाहिए:
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PGS India (Participatory Guarantee System) – छोटे किसानों के लिए मुफ़्त है।
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NPOP (National Programme for Organic Production) – निर्यात के लिए जरूरी।
💰 लाभ (Organic Farming ke Fayde)
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फसल की गुणवत्ता अधिक।
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बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।
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मिट्टी, जल और पर्यावरण की रक्षा होती है।
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किसान और ग्राहक दोनों स्वस्थ रहते हैं।